माँ
माँ
माँ ही धरती
माँ ही आकाश है
माँ ही मंदिर
हर देवी का वास है
माँ ही पूजा
माँ ही इबादत है
है उसका साया जो
खुदा की इनायत है
कर लो कितने भी तीर्थ
हो आओ कितने भी धाम
सब के सब फिजूल हैं
टेक लो माथा उन चरणों में
उसकी हर दुआ कुबूल है।
माँ ही धरती
माँ ही आकाश है
माँ ही मंदिर
हर देवी का वास है
माँ ही पूजा
माँ ही इबादत है
है उसका साया जो
खुदा की इनायत है
कर लो कितने भी तीर्थ
हो आओ कितने भी धाम
सब के सब फिजूल हैं
टेक लो माथा उन चरणों में
उसकी हर दुआ कुबूल है।