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Apoorva Singh

Others

3.5  

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एक तरफा मोहब्बत

एक तरफा मोहब्बत

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तेरे ही क़दमों के निशान पे चलूंगी

तू हक जता के तो देख,

कर दूंगी न्योछावर सब कुछ तुझ पर

तू मोहब्बत निभा के तो देख,

ना दिखे तुझे आंसू मेरे

ना महसूस हुआ दिल का दर्द,

अरे सह लूंगी हर सितम तेरे

तू जरा आजमा के तो देख,

दे सकती हूं हर खुशी तुझे

तू संग चल के तो दिखा,

बन तो जाऊं मैं रानी तेरी

पर तू भी तो राजा बन के दिखा,

तूने चंद पैसे फेंक के 

अपनी वफा जता दी,

मेरी तो दौलत ही दुआ थी

जो भी थी सब तुझपे लुटा दी,

पूजती थी कभी मैं तुझे

तू ही मेरी इब

ादत में था,

मैं तो बन जाऊं फिर वही भक्त तेरी

पर तू भी तो रब बन के दिखा,

बहुत गुरूर था मुझे तुझ पर

उस तड़प को मेरी आंखो में देख,

ले आऊंगी वापस वहीं फ़ख्र

तू मुझे इंसान समझ के तो देख,

यूं भरी महफ़िल में चीर हरण ना कर

समाज में बेतहाशा जी भर जलील ना कर,

मोहब्बत पैसों से शुरू होकर जिस्म तक नहीं होती

इक पल के लिए हवस से ऊपर उठ के तो देख,

कर ले तू मुझे कितना भी बेइज्जत

तेरी इज्जत मैंने वैसे ही सहेज के रखी है,

मेरा क्या है, बन के पार्वती झोंक भी दूं खुद को अग्नि में

बस एक दफा, एक दफा, तू शिव बन के तो देख ।।


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