Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Apoorva Singh

Tragedy

3.5  

Apoorva Singh

Tragedy

पालघर हत्या काण्ड

पालघर हत्या काण्ड

2 mins
168


ओ संत

तुम किस बात की राह देखते हो

बढ़ चलो अगले चरण

देवों की दुनिया में

तुम एक दिवंगत आत्मा हो

लीन हो चुके परमात्मा हो

तुम्हारा स्वागत होगा

तुम तो साधू थे 

सब कुछ परंपरागत होगा।


न्याय की तो बाट ना जोहो

खता तो तुमने की है

ढक कर बदन तुमने भगवा से

हिंदुत्व जता तुमने दी है

तभी बेरहमी से हुआ कतल

वरना तुम ज़िंदा होते

जो हरे रंग में होते अटल

ओ संत, तुम ज़िंदा होते ।


तुम्हारे लिए भी आवाज़ उठती

हर दिल रोता हर आवाज़ फूटती

मोमबत्तियां जल जल के पिघलती

रूहें हर एक जान की दहलती

तुम भी हर समाचार हर अखबार में होते

जो तुम कल्पवृक्ष नहीं कोई बख्तियार होते

पर खता तो तुमने की है

ढक कर बदन तुमने भगवा से

हिंदुत्व जता तुमने दी है 

तभी बेरहमी से हुआ कतल

वरना तुम ज़िंदा होते

जो हरे रंग में होते अटल

ओ संत, तुम ज़िंदा होते ।

 

तुम्हारा वो बालक सा डरा चेहरा याद आता है

राक्षसों का चारो तरफ पहरा याद आता है

वर्दी को सहम के पकड़ना याद आता है

ज़िन्दगी के लिए गिड़गिड़ाना याद आता है

तुम भी आज वजूद में होते

अपने मठ मंदिर में मौजूद होते

रहम खा जाते वे दानव तुम पर

जो तुम संत नहीं मौलाना होते

पर खता तो तुमने की है

ढक कर बदन तुमने भगवा से

हिंदुत्व जता तुमने दी है 

तभी बेरहमी से हुआ कतल

वरना तुम ज़िंदा होते

जो हरे रंग में होते अटल

ओ संत, तुम ज़िंदा होते ।


ऐ संत, रुको मत

 बढ़ चलो अगले चरण

देवों की दुनिया में 

तुम्हारा स्वागत होगा

तुम तो साधू थे 

सब कुछ परंपरागत होगा ।।


          


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy