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Nirmla Rao

Tragedy

4  

Nirmla Rao

Tragedy

किसने सोचा था..

किसने सोचा था..

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किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

चार दीवारों में सिमट कर 

रह जाएगी ये जिन्दगी। 


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

रेल के पटरी पर तेज़ दौड़ती,

यूं एकदम से थम जाएगी ये जिन्दगी।


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

बस थोड़ी सी धूप के लिए 

तरस जाएगी ये जिंदगी। 


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

बस रोटी कपड़ा और मकान 

बन कर रह जाएगी ये जिन्दगी। 


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

बस फिक्र फिर जीने की

रह जायेगी ये जिन्दगी। 


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

दोस्तो के साथ दो पल बिताने के 

लिए तरस जाएगी ये जिन्दगी। 


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

ऑफिस जाने के लिए 

तरस जाएगी ये जिन्दगी। 


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

हर दिन इतवार बन कर 

रह जाएगी ये जिन्दगी। 


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

शहरों की उन्नति का दुष्परिणाम 

बन के राह जाएगी ज़िन्दगी।

 

किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

बस Netflix और prime में यूं 

भटक कर रह जाएगी ये जिन्दगी। 


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

घर की बालकनी तक ही 

अटक कर रह जाएगी ये जिन्दगी 


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

कल की नहीं आज की फिक्र 

करना सीखा देगी ये जिन्दगी। 


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

Social animal से lonely

animal बन कर रह जाएगी। 


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

एक बीमारी यूं दूसरों कि फिक्र 

करना सीखा देगी ये जिन्दगी


किसने सोचा था कि ऐसा होगा 

सारे जाती धर्म भुला के,

मानवता का पाठ पढ़ा देगी ये जिन्दगी।


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