आज बिटिया परायी हुई
आज बिटिया परायी हुई
बेटी का जन्म अभिशाप क्यों है ,
बेटी के विवाह के बाद एक पिता का दर्द
एक नन्ही कली दिल का एहसास है
ज़ज्ब सासों का वो एक आभास हैं
उसकी पहली छुवन भूल पाती नहीं
तोतली बोलियाँ दिल से जाती नही
आज बिटिया पराई हुई
पाठशाला मे वो उसका पहला कदम
याद आते ही आँखें हो जाती है नम
घर के आँगन में उसकी वो अठखेलियाँ
फूलों के संग जैसे महकती फिजाँ
आज बिटिया पराई हुई
माँ से उसके सुना वो बड़ी हो गई
शादी लायक हुई मेरी नन्ही परी
रिश्तोँ की खोज मे सालों साल लग गए
लाखों के वादों मे जाके रिश्ते हुए
आज बिटिया पराई हुई
पैसों की सोच मे मैं परेशान था
बेचना ही सभी कुछ समाधान था
बेटी का पढ़ना लिखना बेमानी लगा
जैसे मैंने ख़रीदा और दूल्हा बिका
आज बिटिया पराई हुई।
बेटी करके विदा अश्रु पूरित नयन
दहेज ऐसी प्रथा करदे मुश्किल चलन
फिर भी मन मे मेरे एक सन्तोष है।
मेरी बेटी मेरा एक परितोष है
आज बिटिया पराई हुई।
