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SHWETA Shubh Karan

Tragedy

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SHWETA Shubh Karan

Tragedy

सपना

सपना

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एक खुशनुमा सा सपना देखा था मैंने,

होगा सच वो सपना सोचा था मैंने,


आंखों मे चमक लेकर शुरू किया सपने को,

मांगा अपनों का साथ पूरा करने सपने को,


पर क्या पता था कि सपने देखना औरत का काम नहीं,

और सपने को पूरा करना किसी सजा से कम नहीं,


क्या मुझे सपने देखने का भी हक नहीं,

और सपना पूरा करना क्या मेरी मंजिल नहीं,

क्योंकि मैं एक औरत हूं.....?


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