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SHWETA Shubh Karan

Abstract

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SHWETA Shubh Karan

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नया सवेरा

नया सवेरा

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रात के अंधेरे को चीरता हुआ

निकला सूरज फिर से

रात के सननाटे को चीरती हुई

गा रही चिड़िया फिर से


दे रही संदेश सबको

नया सूरज, नसा सवेरा

लाया है उम्मीद नयी

फिर क्यों उदास खड़ा


लेकर पुरानी बात को

कर सवागत नये दिन का

अपनी बाहें फैलाकर

और जीत ले आज का दिन

अपनी एक मुसकुराहट देकर।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

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