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SRINIVAS GUDIMELLA

Tragedy

4  

SRINIVAS GUDIMELLA

Tragedy

शहर का जीवन

शहर का जीवन

1 min
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सवेरे उठना दूर को चलना 

कभी फिसलना कभी संभालना 

कभी है मुश्किल कभी है ईजी 

शहर का जीवन बिजी बिजी !


सुबह है जाना शाम को आना 

कहीं पे पीना कहीं पे खाना 

सबको है जल्दी और बड़ी है तेज़ी 

शहर का जीवन बिजी बिजी !


धुप में धुल में चलके जाना 

थकान के मारे मकान को आना 

आधा है जागना आधा है सोना 

मुश्किल है भइ यहां पे जीना !


गाडी पे निकले तो होगा ट्रैफिक जैम 

बस पे निकले तो टूटे हड्डी तमाम 

हर घडी है मुश्किल का पैग़ाम 

नहीं है शान्ति नहीं है आराम !


बीमारियों का यहां ठिकाना 

वजह है इनका बाहर का खाना 

एक पल है जीना एक पल है मरना

पडेगा सबको इनसे है लड़ना !


घर में कोई चोर जो आये 

बाजू वाले सब चुप जाए 

कोई किसीके काम न आये 

अपने अपने राह पे जाए !


जहां भी देखो भीड़ है ज्यादा 

कोई लूटेरा कोई सीधा साधा 

काम है छोटा पर लाइन है बड़ा 

कोई सो गया तो कोई है खड़ा !


शहर बनगया जानलेवा ज़हर 

मुश्किल बन गया इस डगर पे सफर 

जान पे खेला रहा जो इधर 

जाएँ तो जाएँ अब हम किधर !


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