शहर का जीवन
शहर का जीवन
सवेरे उठना दूर को चलना
कभी फिसलना कभी संभालना
कभी है मुश्किल कभी है ईजी
शहर का जीवन बिजी बिजी !
सुबह है जाना शाम को आना
कहीं पे पीना कहीं पे खाना
सबको है जल्दी और बड़ी है तेज़ी
शहर का जीवन बिजी बिजी !
धुप में धुल में चलके जाना
थकान के मारे मकान को आना
आधा है जागना आधा है सोना
मुश्किल है भइ यहां पे जीना !
गाडी पे निकले तो होगा ट्रैफिक जैम
बस पे निकले तो टूटे हड्डी तमाम
हर घडी है मुश्किल का पैग़ाम
नहीं है शान्ति नहीं है आराम !
बीमारियों का यहां ठिकाना
वजह है इनका बाहर का खाना
एक पल है जीना एक पल है मरना
पडेगा सबको इनसे है लड़ना !
घर में कोई चोर जो आये
बाजू वाले सब चुप जाए
कोई किसीके काम न आये
अपने अपने राह पे जाए !
जहां भी देखो भीड़ है ज्यादा
कोई लूटेरा कोई सीधा साधा
काम है छोटा पर लाइन है बड़ा
कोई सो गया तो कोई है खड़ा !
शहर बनगया जानलेवा ज़हर
मुश्किल बन गया इस डगर पे सफर
जान पे खेला रहा जो इधर
जाएँ तो जाएँ अब हम किधर !