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Kusum Joshi

Tragedy

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Kusum Joshi

Tragedy

मज़दूर तू मज़बूर क्यों है

मज़दूर तू मज़बूर क्यों है

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मज़दूर तू मज़बूर क्यों है,

आज भी संसार में,

तू ही रोता बिलखता क्यों,

हर आपदा के वार में,


तेरे कंधों ने सदा ही,

नींव दी है देश को,

कंधे वही असहाय क्यों हैं,

अन्न के अभाव में,


मेहनत सदा ही सफल होती,

सिखाता है ये जहां,

लेकिन तेरी मेहनत का फ़ल,

मज़दूर मिलता है कहाँ,


दो वक़्त की रोटी कमा,

खुशहाल रहना ज़िन्दगी,

जमा करना बैंक भरना,

कला ये सीखी नहीं,


जो तूने भी बेईमान होकर ,

घर को अपने भरा होता,

आज इस आपात में ,

तू भी ट्विटर पर खड़ा होता,


तू भी देता ज्ञान तब,

कर्तव्य का और देश का,

जब तेरे नवजात शिशु का,

पेट हरदम भरा होता,


लेकिन नहीं सीखी है तूने,

ऐसी कोई भी कला,

इसलिए मज़दूर तू,

मज़बूर सा यूं फ़िर रहा,


तेरी मज़बूरी समझ ले,

मन कहां इतना बड़ा,

याद रखना साथ तेरे,

ना होगा कभी कोई खड़ा,


तूने ख़ुद के देश में,

ख़ुद के लिए लड़ना पड़ेगा,

पहुंचने गंतव्य तक,

तूने बहुत चलना पड़ेगा।

कि दूर तक चलना पड़ेगा।।



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