कोरोना
कोरोना
कब खत्म होगी ये अमावस जाने
अब सब्र ना हो पाएगा
है जीवित वो सूर्य जब तलक
अंधेरा कायम कहां रह पाएगा ।
इस रात को चीरती हुई
एक रौशनी जरूर आएगी
आशाओं की छटा बिखेर
दर्द सारे समेट ले जाएगी
वो परमात्मा इतना क्रूर नहीं
जो तिल तिल मारे अपनी औलादों को
कुछ खता तो हमसे भी हुई होगी
सबक सिखा, वो फिर बस्ती बसा जाएगा।
इस मौत के तांडव को
अब रुकना ही होगा
इन जलती चिताओं को
हर हाल बुझना ही होगा
कितने घर बर्बाद होंगे
और कितने नन्हें अनाथ होंगे
कितनो की कोख उजड़ेगी
जाने कितनो की लाठी टूटेगी
बंजर हो चुके इस मानवी वन को
फिर से पनपना ही होगा
एक बार फिर रावण को
राम के आगे झुकना ही होगा
प्राण शक्ति की मशाल को
फिर से जलना ही होगा
इन जलती चिताओं को
हर हाल बुझना ही होगा
इन जलती चिताओं को
हर हाल बुझना ही होगा ।।