जीवन
जीवन
हे जीवन ! नहीं जानता क्या या
कौन हो तुम ?
पर पता है इतना कि बिछुड़ेंगे एक दिन
हम और तुम !
कब, कैसे और कहाँ मिले थे
कुछ याद नहीं
पर हाँ, साथ रहने की ख़त्म हुई
अभी मीयाद नहीं.
जीवन ! युगों से हम-तुम हैं साथ
ठिठुरता पूस हो, जेठ की लू या कि बरसात
मुश्किल है अलग होना जिगरी दोस्तों का
लाजिमी है गिरना दो कतरा अश्कों का .
बेहतर है तुम दबे पाँव आओ
साँझ के धुंधलके में
अलविदा न कहो, वरन आओ
पुनः लेकर नयी सुबह बदले में।