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Vivek Madhukar

Romance

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Vivek Madhukar

Romance

प्राणवल्लभा

प्राणवल्लभा

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वो चुहल, वो नोक - झोंक, वो प्यार से झगड़ना

मनुहार करना - करवाना, आंखों में रात काटना

जाने - अनजाने रोज एक नया मसला उत्पन्न होना

नामालूम चीजों पे आए दिन वाद - विवाद होना

जीवन में परन्तु अनवरत प्रेम - पगे कदमों से

आगे बढ़ते जाना

श्रेय इसका शत - प्रतिशत जाता तुमको ही 

खेवैया तुम ही तो हो हमारी जीवन - नैया की।


कान्हा, कोटि - कोटि धन्यवाद तुम्हारा

भेज दिया तुमने "परी" मेरे उपवन में।


रानी, मेरे लिए तो हम हैं दम्पत्ति सर्वोत्तम

हर सोच में तुम्हारी परवाह होती मेरी हरदम।


तुम ही हो मेरे अविवेचित स्वप्नों का

वास्तविक रूपांतरण

एक आदर्श सहगामिनी, करती हमारा खूबसूरत

युगल - चित्रांकन ।


बरसों पहले, मेरी प्रियतमा

प्रदान की मेरे जीवन को तुमने पूर्णता 

बन गई तुम स्नेहरस से अभिसिक्त जीवनसंगिनी मेरी

ये भी जानो, तुम मुझे मिला सर्वोत्तम उपहार हो,

ख्याल भर तुम्हारा भर देता अंतस में स्निग्धता ।


हमने रचा है अपना यह घर - संसार 

प्रेम - सिंचित तूलिका से

भर देता यह भाव मेरे अंतर को आनंदपूरित गर्व से

संभव किया है इसे मेरी निराली सहभागिनी ने

हर कदम चली है जो ताल से ताल

मिलाकर उत्साह से।


शुक्रिया, मेरी अनमोल अभिलषित प्राणवल्लभा

तुमने कर दिया सच मेरे सपनों को

किया सुगंधित हमारे विवाहित सफर को तुमने 

अपने निश्छल प्रेम और धीर संरक्षण से

और बदल डाला उसे आनंदपूर्ण सहयात्रा में ।


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