STORYMIRROR

Suraj Kumar Sahu

Abstract

4  

Suraj Kumar Sahu

Abstract

नील मुक्तक

नील मुक्तक

1 min
228

वो हैं नही जो होने का वो दावा करते हैं, 

अब इश्क़ में भी खूब लोग मिलावा करते हैं, 

जो न समझ सके हमारे दिल के भाव को, 

वो क्या होंगे अपने सिर्फ दिखावा करते हैं


जब सवाल होगें तो न देने जवाब आऐंगे, 

न बुरा समय में काम देनें नवाब आऐंगे, 

अपनी लंगोट खुद सम्भल कर चलना, 

 चारों तरफ से ऐसा वरना दवाब आऐंगे


इस तरफ से उस तरफ पेशा है उनका, 

जिस्म उनकी जान भी बेचा हैं उनका, 

गलत जो कह के सच को दुश्मन हो गए, 

झूठ ही कहना था झूठ अच्छा हैं उनका।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract