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Suraj Kumar Sahu

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Suraj Kumar Sahu

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सावन का गीत

सावन का गीत

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बरसना है तो बरस बादल, 

बरसना है तो... 

रिमझिम से न भिगा आँचल, 

न गीली मिट्टी गली की, 

न छूटा आँखों का काजल। 

बरसना है तो.... 

बरसना है तो.... 


आई घड़ी जब से सावन की, 

आने लगी याद माँ के आंगन की, 

पहुँचा दे घर संदेशा, 

भाई आएगा अंदेशा, 

लगा के बैठी कब से मैं बन पागल, 

बरसना है तो...... 

बरसना है तो...... 


शाम हुई कब सुबह हुई, 

निकले न तारे क्या वजह हुई, 

पत्तों पे पानी की बूंदें, 

मोती जैसे मन उनको ढूँढें, 

कब होगा माँ से मिलन का पल, 

बरसना है तो...... 

बरसना है तो...... 


कुआँ बावड़ी भर जाए सब, 

सावन में तू इतना बरस अब, 

लग आग गई यौवन में, 

मोर बोले नाचे वन मे, 

रोके से न रूके देखो बाढ़ का जल, 

बरसना है तो...... 

बरसना है तो...... 



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