मैं अपने ख्वाब
मैं अपने ख्वाब
1 min
26
मैं अपने ख्वाब को सजाने में लगा हूँ,
तुम कहते हो जवानी बहाने मे लगा हूँ,
कभी गौर से देखा मेरे माथे की लकीर,
जो शिकन थी उसे हटाने में लगा हूँ,
थी मजबूरी जिंदगी को कष्ट में जीने की,
किसी कदर कोशिश मिटाने में लगा हूँ,
भटकने के बाद रास्ता मंजिल का दिखा,
देखते ही देखते खटकने जमाने में लगा हूँ,
जिन्हें देखना है दम घुटती जिंदगी मेरी,
सच कहूँ नील उन्हें जलाने में लगा हूँ।।
