ग़ज़ल (लव)
ग़ज़ल (लव)
मेरा जीवन सजा रहे हो तुम।
प्यार ऐसे निभा रहे हो तुम।
हसरतें मेरी होती सब पूरी
क्योंकि मेरी दुआ रहे हो तुम
रोशनी की मुझे जरूरत थी,
साथ बन के ज़िया रहे हो तुम।
क्यों अचानक बदल दिया लहजा,
आजतक ख़ुश-अदा रहे हो तुम।
ताज़गी रुख़ पे आई है इतनी,
फूल सा खिलखिला रहे हो तुम।
चाँदनी रात का असर यूँ है,
चाँद सा झिलमिला रहे हो तुम।
बात ही बात पे जो रूठते हो।
क्या मुझे आजमा रहे हो तुम।
आँख से तो बयान करते सब
होंठ फिर क्यों हिला रहे हो तुम
जोड़ कर एक पाक सा रिश्ता,
मुझसे मुझको घटा रहे हो तुम
रिन्द मुझको बना दिया तुमने
जाम कब से पिला रहे हो तुम
सर्द मौसम है सोने दो मुझको
नींद से क्यों जगा रहे हो तुम
फ़िक्र ए फ़र्दा भी हो रही है कमल,
दूर जो मुझसे जा रहे हो तुम।
