कमी
कमी
ये कमी
तू मेरे अंदर से क्यों नहीं जाती है
इस तरह क्यों हमें सताती है
क्यों हमे पूरा नहीं होने देती हैं
तुम्हारी वजह से हमेशा धोखा ही खाती हूं
हर किसी पर बहुत जल्दी विश्वास जो कर लेती हूं
ये कमी तू मेरे अंदर से चली क्यो नही जाती हैं
क्यों मुझे इतना रुलाती हैं।।
हममें कमी ही क्या है जो अपनी कमी को पहचाने हम
एक ही तो कमी है हमारी जल्दी ही किसी पर
भरोसा करना,अन्यथा खूबियों से भरे है हम।
कमी निकालने के लिए तो ज़माने भर के लोग है
फिर क्यो खुद मे कमी निकाले हम।।
