लिखते लिखते रुक जाते है
लिखते लिखते रुक जाते है
लिखते लिखते रुक जाते है
मां तेरी तारीफ करूँ जिससे
वो लफ्ज़ नहीं मिल पाते हैं
निःस्वार्थ प्रेम एक तुम्हीं से पाते हैं
तुम्हारी दुआओं का ही असर है
कि दुनिया के हर कष्ट को हंस कर झेल जाते हैं
तुझसे दूर होने की सोच मात्र से मुरझा से जाते है।।
