मैं आज फिर कहीं खो गया, उसको फिर लिखते लिखते मेरा सब्र भी कहीं खो गया ये सब्र मैं आज फिर कहीं खो गया, उसको फिर लिखते लिखते मेरा सब्र भी कहीं खो ...
जितना करीब जाएं इसके और उतने ही करीब हम होते चले जाते है जितना करीब जाएं इसके और उतने ही करीब हम होते चले जाते है
कविता पढ़ते वक़्त हम जिंदगी के उतार-चढ़ाव को समाज में अच्छाई-बुराई को पढ़ रहे होते है कविता पढ़ते वक़्त हम जिंदगी के उतार-चढ़ाव को समाज में अच्छाई-बुराई को प...
जिसे तुम भूल गये हो चलो उस भगवान को याद करते हैं जिसे तुम भूल गये हो चलो उस भगवान को याद करते हैं
निःस्वार्थ प्रेम एक तुम्हीं से पाते हैं निःस्वार्थ प्रेम एक तुम्हीं से पाते हैं
कुछ खुद् के लिए, कुछ दूसरो के लिए, चलो लिखते हैं। कुछ खुद् के लिए, कुछ दूसरो के लिए, चलो लिखते हैं।