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Barsa Pradhan

Abstract

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Barsa Pradhan

Abstract

चलो लिखते हैं

चलो लिखते हैं

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कुछ खुद् के लिए,

कुछ दूसरो के लिए,

चलो लिखते हैं।

पहले शुरू करते हैं तुमसे

फिर पूछेंगे किसी और से।

लिखते हैं तुम्हारी हकीकत

साथ छुपी तुम्हारी शरारत।

जानते हैं मुस्कराहट के पीछे छुपा ग़म,

क्यों बिस्तर पे आँखें होती है नम।

चलो लिखते हैं।

लिखते हैं लिखने की वजह,

ज़िन्दगी की तलाश या खुद को सजा।

बताओ कुछ अपने किस्से,

कुछ पाके कुछ खोया हुआ हिस्से।

दिन की शुरुआत से लेकर रात की ख्वाब तक,

बोल दो अनकही बातें सारी तुम बेझिझक।

चलो लिखते हैं।

लिखते हैं एक कहानी

जिस में छुपी हो तुम्हारी मनमानी या हैरानी

तुम समझाओ ज़िन्दगी के रहस्य

लिखते हो तो ज्ञान्त होगी अवश्य

फिर नापना हे तुम्हारा अपनापन,

सहारा जिसके तुम गुजरती हो जीवन।

चलो लिखते हैं।

तुम्हारी पूर्णता से लेकर बेबसी तक की कथा

जिसके बारे में शायद ही किसी को हौ पता

आज लिख देते हैं पूरी तुमको,

तुम्हारे सपने और उनके आहटों को।

चलो लिखते हैं।

पहले लिखते हैं तुमको,

फिर जानेंगे किसी और को।


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