शरण
शरण
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मैं आज फिर कहीं खो गया,
उसको फिर लिखते लिखते
मेरा सब्र भी कहीं खो गया
ये सब्र सीखते सीखते।
मैं आज फिर कहीं खो गया,
उसको फिर लिखते लिखते
मेरा सब्र भी कहीं खो गया
ये सब्र सीखते सीखते।