STORYMIRROR

सोनी गुप्ता

Abstract

4  

सोनी गुप्ता

Abstract

जीवन की खुशियाँ

जीवन की खुशियाँ

1 min
194

आज तीसरे दिन की शुरुआत कुछ ऐसी हुई ,

चीनी के डिब्बे में चीटियों से मुलाकात हुई ,

डिब्बे को खंगाला और चीटियों को निकाला ,

फिर मध्यम सी आंच में बनाई मीठी चाय ,

अदरक की चाय पीकर दिन अपना बन गया ,


दोपहर हुई अब तो सूरज भी ऊपर चढ़ गया ,

सूरज की किरणों ने जब छत पर डाला डेरा ,

छत पर तो जैसे अब धूप का लग गया फेरा ,

सूरज हमेशा तपकर सबको रोशन करता है,

हे सूरज देवता तुझसे तो अँधेरा भी डरता है ,


आज हम सूरज देवता से यही प्रार्थना करते हैं ,

हर –पल सबके जीवन में उजियारा ही रहे ,

महके फूलों की खुशबू सा प्यारा संसार रहे ,

हर दिन सूरज सा चमकता रहे जीवन हमारा,

आज शाम केक बनाया हमने मिलकर खाया ,

जैसे मीठा केक वैसे ही मीठी बोली सबकी रहे ,

ढेर सारी खुशियाँ जीवन में हमेशा सबके रहे II



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract