जीवन की खुशियाँ
जीवन की खुशियाँ
आज तीसरे दिन की शुरुआत कुछ ऐसी हुई ,
चीनी के डिब्बे में चीटियों से मुलाकात हुई ,
डिब्बे को खंगाला और चीटियों को निकाला ,
फिर मध्यम सी आंच में बनाई मीठी चाय ,
अदरक की चाय पीकर दिन अपना बन गया ,
दोपहर हुई अब तो सूरज भी ऊपर चढ़ गया ,
सूरज की किरणों ने जब छत पर डाला डेरा ,
छत पर तो जैसे अब धूप का लग गया फेरा ,
सूरज हमेशा तपकर सबको रोशन करता है,
हे सूरज देवता तुझसे तो अँधेरा भी डरता है ,
आज हम सूरज देवता से यही प्रार्थना करते हैं ,
हर –पल सबके जीवन में उजियारा ही रहे ,
महके फूलों की खुशबू सा प्यारा संसार रहे ,
हर दिन सूरज सा चमकता रहे जीवन हमारा,
आज शाम केक बनाया हमने मिलकर खाया ,
जैसे मीठा केक वैसे ही मीठी बोली सबकी रहे ,
ढेर सारी खुशियाँ जीवन में हमेशा सबके रहे II
