STORYMIRROR

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

4  

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

यात्रा बहुत छोटी है

यात्रा बहुत छोटी है

1 min
471

जीवन यात्रा बहुत छोटी है

हाँ हाँ यात्रा बहुत छोटी है

अपमानित हुए तो क्या

विचलित होना।

यात्रा बहुत छोटी है।

सम्मानित हुए तो क्या

अहंकारित होना

यात्रा बहुत छोटी है।


किस बात का तनाव

किस बात की जलन 

किस बात का असंतोष

किस बात की गलन

हृदय में है क्या भूल जाओ 

क्युँकि यात्रा बहुत छोटी है।


चार दिन की जिंदगी 

तो किस बात का भाव

नहीं हाथ में है कुछ भी 

तो किस बात का ताव

मन में है जो भूल जाओ

क्युँकि यात्रा बहुत छोटी है।


बहस किस लिए करूँ 

जब साथ कुछ जाना नहीं।

विषय पदार्थ में भटकना

जब खास कुछ पाना नहीं।

उस परमेश्वर को याद रखो

क्युँकि यात्रा बहुत छोटी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract