भ्रूण हत्या ( एक पाप)
भ्रूण हत्या ( एक पाप)
बढ़ते मेरे देश की।
तस्वीर अजब निराली है।।
उखाड़ फेंक रहा फूल।
स्वयं बगियाँ का माली है।।
कर भ्रूण हत्या सा पाप।
नपुंसक तुम बन जाओगे।।
निर्वासित कर उनको बगियाँ से।
तुम माली नहीं कहलाओगे।।
वह है नन्ही सी कली।
भीतर उसके भी जान है।।
हुआ आगमन नहीं जगत में।
फिर क्यों हुई परेशान है।।
माँ पिता का फर्ज निभा कर।
उसे प्रेम पूर्वक घर में लाओ।।
खिलने दो उसे बगियाँ में।
भ्रूण हत्या नहीं करवाओ।।
