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Acharya Neeru Sharma(Pahadan)

Abstract

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Acharya Neeru Sharma(Pahadan)

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चंचल पवन

चंचल पवन

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लहराती - मुस्कुराती 

सीमाओं के बंधन को 

व्यर्थ बताती,

चहूँ दिशाएँ महकाती 

वह चंचल पवन 

इतराती - बलखाती, 

फसलों संग खेलती 

वृक्षों के पात - पात को छूकर 

देखो, आई है 

हम सबको निःस्वार्थ कर्म का 

महत्व समझाने। 



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