चंचल पवन
चंचल पवन
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लहराती - मुस्कुराती
सीमाओं के बंधन को
व्यर्थ बताती,
चहूँ दिशाएँ महकाती
वह चंचल पवन
इतराती - बलखाती,
फसलों संग खेलती
वृक्षों के पात - पात को छूकर
देखो, आई है
हम सबको निःस्वार्थ कर्म का
महत्व समझाने।