सफ़र
सफ़र
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लो आज फिर
हम
चल पड़े हैं
इक नए सफ़र पर।
बेशक अजनबी है यह मंज़िल
पर
राहों और नज़ारों से हमें
प्यार है।
हम तो हैं बस मनमौजी
और
चल दिए हैं सफ़र पर
बेहद नाज़ुक और ख़ूबसूरत होगा
प्रकृति के
सान्निध्य में गुज़रा हमारा हर पल।
हाँ,
बड़ा बेमिसाल होगा
ख़्वाबों - ख़्यालों - सा महक़ता
यह सफ़र।
