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Acharya Neeru Sharma(Pahadan)

Others

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Acharya Neeru Sharma(Pahadan)

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प्रकृति फिर मुस्कुराने लगी है

प्रकृति फिर मुस्कुराने लगी है

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कोहरे के हटने से

धुँध के छँटने से

हो रहा एहसास फिर

मौसम के बदलने का,

महक़ रही है बयार

नव कोंपले फूट रही हैं

शाखाओं पर नव-पात

मुस्कुराने लगे हैं,

पंछियों के कलरव से

वन-उपवन और चहुँ दिशाएँ

गुनगुनाने लगी हैं।

हाँ,

हो गया है आगाज़

बसंत के आने का,

प्रकृति का कण-कण

मुस्कुराने लगा है।



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