STORYMIRROR

Acharya Neeru Sharma(Pahadan)

Abstract Inspirational

4  

Acharya Neeru Sharma(Pahadan)

Abstract Inspirational

पतंग

पतंग

1 min
512

कुछ नई

पतंगे सजी थीं जो

दुकान पर

बोली इक - दूजे से

नहीं कोई

हमें समझता

क्यों हमें उड़ाकर

कभी बिजली की

तारों में फँसाकर और

कभी पेड़ों की

शाखाओं में उलझाकर

हमें दर्द देते और

हमारी सुंदरता खराब करते हैं

इक बड़ी बुज़ुर्ग पतंग

वहाँ मौजूद जो थी सुनकर इन

पतंगों की बातें

बोली उनसे कुछ यूँ समझाकर

नहीं कहो तुम ऐसा

नौसिखिए जब हमें उड़ाते हैं तो

थोड़ा इधर उधर हमें फँसा देते हैं पर

हमें फँसा देखकर दुःखी वे भी होते हैं

पर जब हमें

देश की आज़ादी के जश्न पर

ख़ुशियों संग उड़ाते हैं तो

हमारी शान भी बढ़ती है हम भी

वीर जवानों की तरह

देश की आज़ादी मनाकर

हवाओं में लहराकर

आसमान की शोभा बढ़ाते हैं

तो ना व्यर्थ समझो जीवन अपना

सभी की ख़ुशियों में शामिल होकर

मुस्कुराकर जीवन बिताओ सदा अपना।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract