पतंग पतंग
कटी पतंग कटी पतंग
नये पत्तों का बहार भी था नये पत्तों का बहार भी था
फिर याद आती है मुझे वो भूली बिसरी कहानियाँ तू क्या जाने जिंदगी , कैसे रही है गुज़र फिर याद आती है मुझे वो भूली बिसरी कहानियाँ तू क्या जाने जिंदगी , कैसे रही है गुज...
जीवन में किसे पता कल तुम हो कि नहीं जीवन में किसे पता कल तुम हो कि नहीं
आओ अगली पंतग उड़ायें ढलते हुऐ सूरज को देखे क्यों ? आओ रात का आनंद मनाए। आओ अगली पंतग उड़ायें ढलते हुऐ सूरज को देखे क्यों ? आओ रात का आनंद मनाए।