आशा की ओर कदम बढ़ाएं
आशा की ओर कदम बढ़ाएं
हाथ से फिसलती हुई रेत
देखें क्यों ?
आओ मुट्ठी में कुछ और समेटे
कटी पतंग को उड़ते हुऐ
देखें क्यों?
आओ अगली पतंग उड़ायें
ढलते हुऐ सूरज को
देखे क्यों ?
आओ रात का आनंद मनाए।
अपनों के बिछोह पर,
दुखी क्यों?
आओ औरों को अपना बनाए
खोने का अफसोस
मनाए क्यों?
आओ कुछ नया खोज लाए
आओ जिंदगी को खुश नुमा बनाए।
आओ आशा की ओर कदम बढ़ाएं।