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Ragini Uplopwar Uplopwar

Others

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Ragini Uplopwar Uplopwar

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जहां मैं पैदा हुईं

जहां मैं पैदा हुईं

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जहां मैंने जन्म लिया,

वहां है आज महल खड़ा।

कभी होता था घर वहां,

घर में था दालान बड़ा।

बीचों बीच आंगन में,

होता था इक झूला खड़ा।

बैठ ममेरे,चचेरे भाई बहन,

खेला करते,करते लड़ाईयां।

और खूब शैतानियां,

मस्ती के बीच होती थी,

नाना नानी की कहानियां।

वो मेरे नाना नानी का घर था,

अब वहां मामा मामी का महल है।

जिसके घर में जगह तो बहुत है,

पर दिल उनका कमजोर है।

सोचती हूं जाऊं,

जहां मैं पैदा हुई,

पर दुखी होकर क्यों आंऊ?

इरादा बदला,

यादों की पोटली में सहेजी सुखद यादें,

रहे ऐसी ही बनी,

नाना -नानी, मामा -मौसी भाई -बहन

रहे हरदम कैद नजरो में,

छवि जो है पहले की बनी।



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