वो मिलेगी जरूर
वो मिलेगी जरूर
मुश्किलों से मुस्कुरा
कर मिलना,
कोई उससे सीखे।
समस्याओं से वह मुस्कुराकर
मिलती है,
उसके दुखों को कैसे पहचाने।
वह तो हमेशा, खिलखिलाकर
मिलती है।
अमावस्या क्या डरायेगी उसे,
जुगनुओ की फौज लेकर,
अंधेरे से भिड़ने निकली है।
पूर्णिमा तो उसकी यूं ही
इठलाती है।
मुश्किलों में भी जो हरदम
मुस्कुरा कर मिलती है।
जिसके द्वार आकर मुसीबतें भी
लौट जाती है।
आने दो, आने दो,
बेखटके उसे आने दो।
लुटाने दो लुटाने दो,
लुटाते लुटाते लूटने का
जश्न मनाती है।
मुश्किलों से वह हरदम
मुस्कुराकर मिलती है।
वो है खुशी।
हर दिल में बसना चाहती है।
जिसे हम ढूंढते रह जाते है,
सामने होकर भी,जिसे
पहचान नहीं पाते है।
उसे पहचानो वह है खुशी
वो मिलेगी जरूर।