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साथ भा गया

साथ भा गया

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दर्द कहां है दिखा नहीं सकती,

दर्द कैसा है बता नहीं सकती।

दर्द कितना है तौल नहीं सकती

लेकिन गर सको तो,

आंखों को देखकर जान लो,

चेहरे के भाव पहचान लो।

भावनाओं से तौल लो।


दर्द देकर कोई खुश है,होने दो।

दर्द को कितना संभालोगे,

कहां कहां लेकर जाओगे।

अब,औरों की खुशी में खुश रहना,

आते दर्द को झटकारना,

जब जहां हो मुस्कुराना

जिन्दगी ने सिखा दिया।

इसलिए,दर्द को पीना आ गया।

दर्द को भी मेरा साथ भा गया।



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