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Hem Raj

Inspirational

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Hem Raj

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गुरु ही गोविंद है

गुरु ही गोविंद है

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पिता का सा बृहद प्यार है जिसमें,

है मां की सी जिसमें कोमल ममता।

उसी गुरुदेव के दिए ज्ञान में ही तो है,

गोविन्द से जीव को मिलाने की क्षमता।


तुतलाती सी इस जुबान को जिसने,

निज शब्द स्नेह का अमृत पिलाया।

गुरुदेव ही तो है वह दुनियां में अपना,

जो उंगली पकड़ कर लिखना सिखाया।


हां हम भूल गए आज सब ज्ञानी होकर,

प्राप्त ज्ञान को अपनी उपलब्धि बताया।

स्वार्थपरता के इस धुंधलके अंधे यग में,

गुरु उपकारों को उसका फर्ज ठहराया।


ओ नादान मानुष! क्या औकात है तेरी ?

कबीर सरीखों ने गुरु को गोविन्द बताया।

ज्ञान सागर से बूंद भर लेकर तू इतराता है,

तेरी फितरत का यह रंग कुछ समझ न आया।


गुरु ही गोविन्द है, सन्तों, ऋषि , मुनियों ने,

पीढ़ी दर पीढ़ी सदियों से बहुत समझाया।

नादान मानुष की फितरत तो देखो, हैरत है,

उसकी समझ में आज तक कुछ न आया।


 तथाकथित आधुनिकता के नशे में चूर होकर,

 अपनी चिर परिचित सभ्यता को है भुलाया।

 गुरु गुड़ व चेला शक्कर, कहावत के बल पर,

 नादान ने खुद को गुरु से बढ़कर है बताया।


गुरु चरण कमल की धूली के बिन,

कभी खुलते नहीं है बुद्धि के दरवाजे।

गुरु की दी शब्दशक्ति के बाल से ही,

गूंजती है भीतर में कल्पना, आवाजे।


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