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Hem Raj

Tragedy

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Hem Raj

Tragedy

बस भी करो अब

बस भी करो अब

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रक्त - रंजित इस धरा को यारों,अब तो धुल जाने दो।

अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का राज,अब तो खुल जाने दो।


परे समझ के आज हुआ है,सच जनता को समझाना।

क्यों चाहते विश्व धुरंधर,परमाणु जंग में जग ले जाना?


जल उठेगा जर्रा - जर्रा, उग न सकेगा अन्न का दाना।

हिरोसिमा और नागाशाकी, दुनिया पूरी को न बनाना।


मोह ममता की हदें तोड़कर, चाहते हैं निर्मम बन जाना?

हथियारों के व्यवसाय से,क्यों चाहते हैं जग को चलाना?


 स्वार्थ,सनक या शक्ति परीक्षण, चाहते क्या गुल खिलाना?

साम्राज्यवाद या सीमा संरक्षण,आखिर चाहते क्या जताना?


दूषित हवा से धूमिल गगन,क्यों चाहते हैं प्रदूषण फैलाना?

 नई पीढ़ी को क्यों चाहते हैं,जहरीला गैसीय जहर खिलाना?


लूली - लंगड़ी संताने होगी,मानव मंद बुद्धि और रोगी होगा।

कुरूप से बनमानुष पैदा होंगे, जीएगा वही जो योगी होगा।


बन्द करो यह हथियारी तमाशा,सबको शान्ति से जीने दो।

परमाणु विनाश का विष मत बांटो,प्रेम पीयूष को पीने दो।


बस भी करो अब हुआ बहुतेरा,होश में आकर रहम करो।

नफरतों के बक्से खाली करो ,उनमें मोहब्बत की मेहर भरो।







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