पिंजरे का तोता
पिंजरे का तोता
चोंच है मेरी लाल लाल
और पंख हैं मेरे हरे
आज बताता हूँ मैं तुमको
जख्म हैं कितने गहरे
सुन्दरता ही मेरी दुश्मन
निज किस्मत पर रोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ...
पेड़ के कोटर में ही मेरी
दुनिया से पहचान हुई
बिता बचपन हुआ बड़ा मैं
हर मुश्किल आसान हुई
स्वच्छ गगन में विचरण करता
हरियाली में सोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ...
कलरव करता पेड़ों पर के
तरह तरह फल खाता था
पीकर ठंडा जल झरने का
फूला नहीं समाता था
बंधू सखा सब साथ हैं मेरे
एक झुण्ड में होता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ...
छोटी सी लालच का मैंने
कीमत बड़ा चुकाया है
डाल के दाना जाल बिछा के
मुझको बड़ा फंसाया है
लाकर कैद किया पिंजरे में
हालत पर मैं रोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ....
कैद नहीं थे तुम फिर भी
सबने इतनी कुरबानी दी
बहनों ने सुहाग तो
लड़कों ने भी अपनी जवानी दी
आजादी के जज्बे की मैं
कदर बड़ा ही करता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ...
जैसे तुमको जान से प्यारी
है अपनी आजादी
कैद करो ना किसी जीव को
सब चाहें आजादी
सब आजाद हों यह सोचूं मैं
जागूँ चाहे सोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ...