तेरी जय हो मां
तेरी जय हो मां
तूने अपना नूर गवाया,
तब जा के हमें सृजाया,
पीड़ा सह कर हमें उत्पाया,
अपना दर्द सब अंदर छुपाया।
तेरी जय हो मां!
मल - मूत्र से हमें बचाया,
अपने मुंह का हमें खिलाया,
उंगली पकड़ कर चलना सिखाया,
तोतली जुबां को बतियाना बताया
अपना दर्द सब अंदर छुपाया।
तेरी जय हो मां!
पाला - पोसा बड़ा बनाया,
सर्दी में गर्मी दी, धूप में छाया,
लकड़ी सी सूखा दी अपनी काया,
अरमान कुचल निज हमें पढ़ाया,
हमारी गलती पर भी हमें न सताया,
अपना दर्द सब अंदर छुपाया।
तेरी जय हो मां!
हांफते - कांपते तुझे वृद्धा -आश्रम पहुंचाया,
हमने जोरू संग गुलछररा उड़ाया,
बलिदान तेरा कभी याद न आया,
कितना कर खाती वह बूढ़ी काया?
तुझमें तो है करुणा सिंधु समाया,
सब के बावजूद भी कुछ न बताया,
अपना दर्द सब अंदर छुपाया।
तेरी जय हो मां!
हम ढीठ है, एहसान फरामोश,
हमें रही न बचपन की होश,
तूने कैसे बड़ा किया था, हमें पाल -पोस ,
कोई हमें गड़ाता निगाहें था तो, दिखाती थी तू कैसा जोश?
जोरू की तिरेरी से ही डर गए हम, है बड़ा ही यह अफसोस,
तू है कि अपने दर्द को, रही है अंदर ही अंदर मां मसोस।
तेरी जय हो मां!