थम जाने दो
थम जाने दो
थम जाने दो अब ये समर ओ साथी !तबाही हुई घनेरी है।
यह धरती और ये फिजाएं न ही,तेरी है और न ही मेरी है।
मान ली सारी शर्तें अब तेरी,फिर काहे यूं आंखे तरेरी हैं ?
विश्व शान्ति का शंख बजाओ,क्यों हमसे पीठ यूं फेरी है?
युद्धों से भीषण संहार है होता, दोनों ही ओर को घाटा है।
यह सच है पराजित शोक मनाए, विजेता जश्न मनाता है।
आज समझना खुद है हमको, जमाना तो यूं उकसाता है।
शकुनी मामा का चरित्र है ऐसा,भाई से भाई को लड़ाता है।
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sp;टकराहट हुई,सो भुगत लिया, अब लग गया सिर माथा है। उत्पात छोटन को,क्षमा बड़न को,सोहत तू निज भ्राता है।
ऐंठ ऐंठ में तबाही को देखकर,भला कौन न पछताता है?
यूक्रेन रूस के द्वंद्व युद्ध का, परिणाम यूं सामने आता है।
भला हुआ जो विभीषिका टल गई,नाश न पूछ के आता है।
गोलाबारी की बरसात से बचने का,बना न कोई भी छाता है।
मानुषी फितरत,तबाही के बाद ही,किए कर्म पर पछताता है।
यह युद्ध है भाई बच्चों का खेल?न महामाई का जगराता है।