STORYMIRROR

सीमा शर्मा सृजिता

Tragedy

4  

सीमा शर्मा सृजिता

Tragedy

हीरो

हीरो

3 mins
276


तुम हीरो हो ना बहुत बडे़ हीरो 

मर मिटते हो जिसके चेहरे पर 

उसे पाकर ही दम लेते हो 

बडा़ नाजुक होता है तुम्हारा दिल 

उसके ना कहने भर से 

टूट जाता है 

और उसी टूटे दिल से एक दिन 

तुम फैंकते हो तेजाब

मिटा देते हो वो चेहरा 

फिर चल देते हो किसी और 

चेहरे की तलाश में।


तुम आशिक हो 

बहुत बडे़ आशिक 

इतने बडे़ कि जानवर बन जाते हो 

नौंचकर मासूम जिस्मों को 

अपनी भूख मिटाते हो 

प्यास बुझाते हो 

फिर फैंक देते हो 

सूने जंगलों की झाड़ियों के पीछे 

चलती बसों की सीट के नीचे 

रेल की पटरियों पर 

अनजान रास्तों पर।


तुम चतुर हो 

इतने चतुर कि लोमड़ भी तुम्हारे सामने 

पानी भरता है 

अपनी चतुराई का प्रमाण 

तुम उन फोटोस और 

वीडियोज को वायरल कर देते हो 

जो तुमने कब बनाईं 

उन मूर्ख लड़कियों को पता तक नहीं 

ना उन्होंने पता करना चाहा 

 वे तो कूद गईं कुएं में 

लटक गईं पंखे से 

खा गईं चूहे मारने की दवा 

या बन गईं जिन्दा लाश।


तुम ठेकेदार हो 

पितृसत्ता के सच्चे ठेकेदार 

पितृसत्ता तुम्हारे आंगन में 

फलती -फूलती है 

हर औरत तुम्हारे लिए 

बपौती है

तुम जो चाहे कर सकते हो 

तुम गर्व से घोषित करोगे खुद को 

उनका परमेश्वर 

पूजवाओगे पैर 

उतरवाओगे आरती 

फिर उन्हीं पैरों से बेझिझिक 

कुचल दोगे उनका अस्तित्व 

फिर उसी अग्नि में जलादोगे 

उनका आत्मसम्मान।


तुम खुद को हीरो समझो 

आशिक समझो ,महाचतुर समझो 

या पितृसत्ता के ठेकेदार 

हमारे लिए तुम राक्षस हो 

केवल राक्षस 

ऐसे राक्षस 

जिनका अन्त करने के लिए 

जागेगी हर बार काली 

हमने जान लिया है 

पहचान लिया है 

हम सभी में है काली 

इससे पहले कि हर गली - मौहल्ले में 

तान्डव करे काली 

तुम इंसान बन जाओ।


  



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy