STORYMIRROR

५ गज की नहीं, ५ फुट की साड़ी

५ गज की नहीं, ५ फुट की साड़ी

2 mins
5.4K


रेशमी धागे सी बुनी गई हूं मैं,

हथकरघे में पली-बढ़ी हूं मैं,

बुनकर की चुलबुली परी हूं मैं,

लाज से रंगी, नटखट जरी हूं मैं।


कारीगर की फूल सी बेटी हूं मैं !

५ गज की नहीं, ५ फुट की साड़ी हूं मैं !

एक दिन मुझे शादी का जोड़ा बनाया,

सोने के गोटों से सजाया, श्रृंगार कराया।


विदाई हुई, राजकुमार अपने घर ले आया,

फिर सास के चरणों में मुझे बिछाया,

पड़ोसी और रिश्तेदारों को दिखाया,

उस घर की नयी नवेली दुल्हन हूं मैं !

५ गज की नहीं, ५ फुट की साड़ी हूं मैं !


शुरू के कुछ दिन सब ने‌ खूब प्यार बरसाया,

कुछ सालगिरह, कुछ जश्न, कुछ ब्याह में,

कभी सास, कभी ननद ने बाहर घूमाया,

राजकुमार ने भी इशारों में प्रेम जताया।


तब उस घर की शोभा बन इठलाई हूं मैं !

५ गज की नहीं, ५ फुट की साड़ी हूं मैं !

अब मेरा रंग फीका हो चला था,

खोट और बुराइयों का सिलसिला था।


कभी बुनकर, कभी साड़ी को ताना दिया,

कहा," गलत चीज़ देकर हमे ठग लिया !

जाने क्यों हमारे गले मनहूस मड़ दिया !"

उस घर का बेकार सामान बन गई हूं मैं !

५ गज की नहीं, ५ फुट की साड़ी हूं मैं !


घर की चारदीवारी में बंद हुई मैं,

दिन भर पसीने से लिपटी रही मैं,

पल्लू हर पल आँसूओं में भीग सागर बनी,

राजकुमार की रात की बस एक चादर बनी।


अब बिना वेतन की नौकरानी बनी हूं मैं !

५ गज की नहीं, ५ फुट की साड़ी हूं मैं !

एक भाग फाड़कर पालना बनी हूं मैं,

उस नन्हीं किलकारी की भूख बनी मैं।


उसके सपनों के लिए रात भर जागती मैं,

अब पहरेदार बन, खुद तार तार हुई मैं,

इस घर का वंश बढ़ाने की मशीन हूं मैं !

५ गज की नहीं, ५ फुट की साड़ी हूं मैं !


हर त्यौहार में पूरे घर को चमकाती मैं,

सब कमरें को साफकर मैल मिटाती मैं,

और मेहमानों के आने पर,

किसी कोने में छुपा दी जाती हूं मैं।


इस घर की देवी, श्रीलक्ष्मी हूं मैं !

५ गज की नहीं, ५ फुट की साड़ी हूं मैं !

कुछ हिस्से जल चुके हैं, कुछ बीच से फट गए ‌हैं,

पहले रोटी संग सेंकी गई, जगह जगह से काली हुई।


अब रसोई का पोंछा बनी हूं मैं,

इस घर की बेटी नहीं बहू हूं मैं !

५ गज की नहीं, ५ फुट की साड़ी हूं मैं !।


छोटे-बड़ों की डाँट-फटकार को झेला है,

तिरस्कार और लांछन तो जैसे मेला है,

आत्मसम्मान की अर्थी निकली हो जैसे,

कुड़े में पड़ा एक बेसाहरा टुकड़ा हूं वैसे।


कुछ गज जमीन में पड़ी एक लाश हूं मैं !

५ गज की नहीं, ५ फुट की साड़ी हूं मैं !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy