मैं मुम्बई हूँ...
मैं मुम्बई हूँ...


मैं मुम्बई हूँ, रूकना मेरी अदा नहीं!
मैं मुम्बई हूँ, झुकने का कोई इरादा नहीं !
पलभर की चुप्पी है, ये सन्नाटा मुझे भाता नहीं,
ज़रा सा ठहराव है, हार जाना मुझे आता नही।
मैं शिवाजी की रण भूमि हूँ, मुश्किलों से डरती नहीं,
मैं तिलक की कर्म भूमि हूँ, कायरों की धरती नहीं।
मैं मुम्बई हूँ, रूकना मेरी अदा नहीं!
मैं मुम्बई हूँ, झुकने का कोई इरादा नहीं !
मैं आर्थिक राजधानी हूंँ, थमना मेरी शान नहीं,
मैं स्वप् नगर की रानी हूँ, पर सोना मेरा काम न
हीं।
मेरे दिनचर्या में सिर्फ दिन ही दिन है, राते नहीं,
संकट की घड़ियों में कदम मेरे डगमगाते नहीं।
मैं मुम्बई हूँ, रूकना मेरी अदा नहीं
मैं मुम्बई हूँ, झुकने का कोई इरादा नहीं !
मुझे अपनी खोई हुई रफ़्तार का इंतजार हैं,
उन भीड़ भरी सड़कों, और रेलगाड़ियों से प्यार है।
आज घरों से बाहर न निकलना, यहीं मेरी आज्ञा है,
जीतना है ये जंग भी मिलकर, यहीं मेरा प्रतिज्ञा है।
मैं मुम्बई हूँ, रूकना मेरी अदा नहीं !
मैं मुम्बई हूँ, झुकने का कोई इरादा नहीं !