कोरोना मुक्त भारत
कोरोना मुक्त भारत


आज मैंने धर्म को सुनसान राहों में बैठे हुए देखा है
आज मैंने भेदभाव को गुमनाम खंडहरों में देखा है
आज मैंने अमीरी गरीबी को पानी में बहते देखा है
हर महामारी से मुक्त, एक नवभारत को उभरते देखा है।
आज मैंने प्रेम की चिड़िया को हर डाल में चहकते देखा है,
आज मैंने रिश्तों को मीलों की दूरी में भी महकते देखा है,
आज मैंने मंजिल को अरमानों की बाहों में बहकते देखा है,
हर महामारी से मुक्त, एक नवभारत को उभरते देखा है।
आज मैंने दया और करुणा को हर मानव चेहरे में देखा है,
आज मैंने घृणा और अभिमान को बंद कटघरे में देखा है,
आज मैंने धरा को फिर हर जीव-जंतु के संग मुस्कुराते देखा है,
हर महामारी से मुक्त, एक नवभारत को उभरते देखा है।