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satender tiwari

Abstract

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satender tiwari

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उम्मीद की कहानी

उम्मीद की कहानी

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उम्मीदों की भी अपनी कहानी

ख्वाबों में अक्सर खिलती

हक़ीक़त में गुम हो जाती

नई सुबह नई सी लगती

अंधेरों में गुम सी लगती

उम्मीदें अपने मन की करती

उम्मीद से उम्मीद लगाते हैं

फिर उम्मीद को कोसते हैं

फिर एक नई उम्मीद लगाते हैं

कभी उम्मीद कर हार जातें हैं

नाउम्मीद होकर जीत जाते हैं

बस इसी में उलझ जाते हैं ।

कभी खुद से बात कर लेतें हैं

कभी भीड़ में खामोश रहते हैं

औरों के लिए जीतें हैं अक्सर हम

खुद के लिए उम्मीदें भी छोड़ देतें हैं।

कभी ज़िन्दगी से उम्मीद रखते हैं

कभी! ज़िन्दगी की उम्मीद खो देतें हैं।


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