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satender tiwari

Tragedy

4  

satender tiwari

Tragedy

कविता

कविता

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कविता


हर किसी ने पढ़ी जैसी लिखी कविता। 

तालियों में ही रह गई अनेक कविता

वाह वाह !शाबाशी भी मिली सबकी

फिर भुला दी गई वो सारी कविता।।


कहीं भूख से बिलखती एक कविता

कहीं रोटी को तरसती एक कविता 

मायूस सा हुआ उन्हें हर पढ़ने वाला 

फिर भुला दी गई वो सारी कविता।।


कहीं शब्दों में खूब रोई एक कविता

खुद की तलाश में खो गई कविता

वजूद वहाँ तलाश रही थी ! जहाँ

पढ़कर भुला दी गई वो सारी कविता।।


कहीं किसी मासूम की मासूमियत लिखी

कहीं उतार दी किसी की ढेरों मजबूरियां

वाह वाह !शाबाशी भी मिली सबकी

फिर भुला दी गई वो सारी कविता।।


नई कलम मिली नया कागज भी मिला 

लिखने वाले ने एक नए अंदाज में लिखा 

फिर बजी तालियाँ ! वाह वाह फिर हुआ 

और फिर भुला दी गई वो सारी कविता।।


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