STORYMIRROR

satender tiwari

Abstract

3  

satender tiwari

Abstract

जाती हुई सर्दी

जाती हुई सर्दी

1 min
153


चलो फिर मिलेंगे हर बार की तरह 

तुम फिर वही ठंड लेकर आना 

हम फिर से रजाई लेकर आएंगे


मूँगफली भी फिर से खाएँगे 

संग चिक्की भी मिलाएँगे 

थोड़ी थोड़ी आग की गर्मी से

तुझे फिर से खूब चिढ़ाएँगे 

तू गुस्से में और ठंडी हो जाना

हम मुस्कुराकर हाथ मिलाएँगे

ऐ जाती हुई सर्दी सुन ज़रा

तेरी याद भी बहुत आएगी 


चलो फिर मिलेंगे हर बार की तरह 

तुम फिर वही ठंड लेकर आना 

हम फिर से रजाई लेकर आएंगे।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract