शहीद की होली
शहीद की होली
पिछली होली जब
गुलाल की थाली सजाई थी
मेरे साजन के इंतज़ार में
पलके बिछाई थी
वो गोली की आवाज़
कानो में इस कदर गूंजी
जो सरहद पर मेरे
साजन ने खाई थी
गुलाल तो ना लगा गालो पे
मांग का सिन्दूर भी मिटाई थी।
