स्वपन-पर
स्वपन-पर
स्वपन परी -स्वपन परी -स्वपन परी।
सपनों मे आयी एक सुंदर स्वप्न परी।
छोटी सी नन्हीं सी प्यारी परी।
हाथ में थी गोल्डन छड़ी।
घुमाकर छड़ी मुझसे कहती।
बोल माँ क्या दू तुम्हें।
प्यारी परी देखकर मुझे लगी
मेरी बच्ची सी।
मासूम सी,चंचल हँसमुख।
में सिफऀ उसे देखती रही।
छोटी सी नन्हीं सी प्यारी परी।
हाथ में थी गोल्डन छड़ी।
घुमाकर छड़ी मुझसे कहती।
बोल माँ क्या दू तुम्हें।
मैने कहा कुछ नहीं सिफऀ;
दो पल बैठे मेरे पास ।
करनी हैं,तुझसे ढेर सारी बात।
फिर न जाने कब हो ये मुलाकात।
परी भी कुछ सोचने लगी
एक छड़ी ही है मेरे पास।
पर उस माँ के पास जन्नत हैं।
में तो कुछ देकर उड़ जाऊगी।
फिर ऐसा माँ का प्यार कब पाऊगी।
सब सपनों मे कुछ न कुछ मांगते हैं।
पर आज में कुछ लेकर जाऊगी।
उस माँ का प्यार सदैव पाऊगी।
थी ये सपनों की बात।
बेटी और माँ सोये थे साथ।
अचानक सपनों से आँख खुली।
माँ बेटी दोनों को आपस में
लिपटा पाया।
दोनों ने प्यार जताया।
आँखो में आसू का सैलाब समाया ।
एक दिन बेटी तुझे ससुराल*
जाना हैं।
आज का दिन मेरे लिये
खुशी को पाना हैं।
तू ही मेरी स्वप्न परी,
तू ही मेरा सबसे बडा़ खजाना हैं।
