दर्द
दर्द
जब दर्द ने दर्द को छोड़ दिया... तो
फिर क्यों दर्द– दर्द को दर्द दे रहा !
एक दर्द ही दर्द को समझता था..
अब वो भी खुद को दर्द दे रहा है
क्या दर्द का रिश्ता दर्द से बेदर्दी का है
जो दर्द को हमेशा सीने में दर्द दे रहा है !
वाह रे दर्द मेरे आज वही दर्द
मेरे सीने को भी दर्द दे रहा !
अब दर्द –दर्द से डरता नहीं है...
उस दर्द को वो भी समझ दे रहा है!
जिस दर्द को उसने दर्द से दर्द को समझाया था
दर्द दर्द की कहानी को समझता है.
आज वही दर्द आशुओ को दर्द दे रहा है !