ज़िद पर अपनी अड़े रहना....
ज़िद पर अपनी अड़े रहना....
ज़िद पर अपनी अड़े रहना
प्रचंड है आँधी पर तुम खड़े रहना
वेग इसका भी एक दिन हांफेगा
बदरा हटा उदासी की, हंसता सूरज झांकेगा
उम्मीद रख, मत होने दे जिजीविषा कमजोर
रात लंबी है, घना है अंधेरा, मगर कभी तो होगी भोर
प्रकृति का काम है आजमाना, आजमाएं रखे
पर फर्ज़ है तेरा की तू हौसलों की मशाल जलाये रखे
'अनिल' है तू, ये काले बादल भी उड़ा ले जाएगा
उम्मीद का एक 'दीपक' ही बहुत है, ये तिमिर कहां टिक पाएगा
दूरी है जरूरी पर दिल से तुम जुड़े रहना
ज़िद पर अपनी अड़े रहना
प्रचंड है आँधी पर तुम खड़े रहना।
