वीर तुम ऐसे बनो
वीर तुम ऐसे बनो
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ना लोभ हो ना मोह हो
ना कोई संताप हो
सूर्य सा तेज रहे
अग्नि सा ताप हो
वीर तुम ऐसे बनो
जैसे राणा प्रताप हो
शत्रु का तुम भय बनो
मृत्यु भी सहमी रहे
आंखों में हो स्वाभिमान
हृदय में स्वराज हो
वीर तुम ऐसे बनो
जैसे शिवाजी महाराज हो
लहू भले ही बह जाए
पर वो वीरता की निशानी हो
देशहित ऐसा करो कि
हर जुबा पे तेरी कहानी हो
वीर तुम ऐसे बनो
जैसे झांसी वाली रानी हो
मां की छाती से
अमृत जो तुमने है पिया
बनकर हलाहल विष वही
दुश्मन का काल कराल हो
वीर तुम ऐसे बनो
जैसे भारत मां की ढाल हो।